कोई तो सरसरी हड़ताल पर है तो कोई मंतिक़ी हड़ताल पर है हमारे ग़म हुए हैं इतने अबतर हमारी हर ख़ुशी हड़ताल पर है किसी की लाश बे-गोर-ओ-कफ़न है किसी की ज़िंदगी हड़ताल पर है कोई दौलत के हाथों तंग है और किसी की मुफ़लिसी हड़ताल पर है ख़ुदा से चंद माँगें हैं हमारी हमारी बंदगी हड़ताल पर है इमामत मस्जिदों तक रह गई है जभी तो मुक़तदी हड़ताल पर है मशीनों पर मशीनें आ रही हैं बेचारा मिस्त्री हड़ताल पर है ये दुखियारों की बस्ती है मिरी जाँ यहाँ हर आदमी हड़ताल पर है