कहीं सज़ा तो कहीं पर जज़ा गुलाब का फूल मरीज़-ए-ख़ार की कामिल दवा गुलाब का फूल किसी के हिज्र की कुल दास्तान होता है किसी की क़ब्र पे उगता हुआ गुलाब का फूल कहीं ग़रीब के बच्चे को रोटी मिल न सकी कहीं वज़ीर पे फेंका गया गुलाब का फूल जहाँ पे इश्क़-ओ-मोहब्बत सिरे से थे ही नहीं वहाँ भी इश्क़-ओ-मोहब्बत बना गुलाब का फूल ख़बर मिली उसे जब मेरे लौट जाने की तब उस के हाथ से यक-दम गिरा गुलाब का फूल फिर उस ने सहन में कीकर उगा लिए क़स्दन जब उस के सहन में न उग सका गुलाब का फूल फ़ुरात भी था वहीं पास में मगर अफ़सोस बला-ए-दश्त में जलता रहा गुलाब का फूल शुरूअ' दिन से मैं बे-ज़ौक़ था सो मैं ने 'अली' कभी दिया न किसी से लिया गुलाब का फूल