कोशिश तो की हज़ार चलूँ साथ वक़्त के पर क्या करें मिले ही नहीं हाथ वक़्त के सब कुछ बदल गया है मिरी ज़िंदगी मगर बदले नहीं कभी कहीं हालात वक़्त के जो तेरे जी में आए वही काम कर सके इतने हसीन तो नहीं जज़्बात वक़्त के हम को भी कुछ नज़र नहीं आता है दोस्तो तुम को भी दुख नहीं रहे हालात वक़्त के ऐ 'रश्क' तू बता कि तिरी ज़िंदगी में कौन करता रहा है हल ये मु'अम्मात वक़्त के