कोठरी ठीक न कोठी का ख़याल अच्छा है यार जिस हाल में रक्खे वही हाल अच्छा है मार्च में अक़्द हुआ और सितंबर में तलाक़ कोई बतलाए बुरा है कि ये साल अच्छा है ना-तवाँ क़ैस है अब कौन उसे समझाए ऐसे हालात में लैला का विसाल अच्छा है बे-हिजाबी नहीं माशूक़ की फ़ितरत ऐ दोस्त बद्र से मैं तो समझता हूँ हिलाल अच्छा है रात लड़ने लगे 'उस्ताद' से तूफ़ान-ए-सुख़न लोग कहने लगे मुंशी का ख़याल अच्छा है