कमाल-ए-जिद्दत-ए-इंसाँ दिखाई देता है जिसे भी देखिए उर्यां दिखाई देता है ये देखता हूँ कि सड़कों पे भीड़ है लेकिन कभी कभी कोई इंसाँ दिखाई देता है अभी कुछ और अंधेरा कुछ और सन्नाटा अभी तो ऐ शब-ए-हिज्राँ दिखाई देता है बहिश्त को न चला जाए मय-कदे ले जाओ कुछ आज शैख़ परेशाँ दिखाई देता है मुझे सड़क से उठाओ न ऐ पुलिस वालो यहाँ से कूचा-ए-जानाँ दिखाई देता है