कुछ फूल थे कुछ अब्र था कुछ बाद-ए-सबा थी कुछ वक़्त था कुछ वक़्त से बाहर की फ़ज़ा थी कुछ रंग थे कुछ धूप थी कुछ दहशत-ए-अंजाम कुछ साँस थे कुछ साँस में ख़ुश्बू-ए-फ़ना थी कुछ रंग-ए-शफ़क़ तेज़ था कुछ आँख में ख़ूँ था कुछ ज़ेहन पे छाई तिरे हाथों की हिना थी कुछ गुज़री हुई उम्र की यादों का फ़ुसूँ था कुछ आते हुए वक़्त के क़दमों की सदा थी सदियों से धड़कती हुई इक चाप थी दिल में एक एक घड़ी सूरत-ए-नक़्श-ए-कफ़-ए-पा थी दोनों को वही एक बिखर जाने का डर था मैं था गुल-ए-सद-चाक था और तेज़ हवा थी 'ख़ुर्शीद' सर-ए-शाम तह-ए-दामन-ए-कोहसार दिल था कि वही कोह की देरीना निदा थी