कुछ काम तो आया दिल-ए-नाकाम हमारा टूटा है तो टूटा ही सही जाम हमारा जितना इसे समझा किए बेगाना-ए-तासीर इतना तो न था जज़्बा-ए-दिल ख़ाम हमारा ये कौन मक़ाम आया क़दम उठते नहीं हैं मंज़िल पे ठहरना तो न था काम हमारा हम जैसे तड़पते हैं तड़पते रहे दिन रात कुछ कर न सकी गर्दिश-ए-अय्याम हमारा ये गर्दिश-ए-पैमाना है या गर्दिश-ए-तक़दीर साक़ी किसी साग़र पे तो हो नाम हमारा फूलों की हँसी बाइस-ए-तख़रीब-ए-चमन है काँटों पे नहीं है कोई इल्ज़ाम हमारा हम गर्दिश-ए-साग़र को निगाहों में लिए हैं देखे कोई हुस्न-ए-तलब-ए-जाम हमारा आग़ाज़-ए-मोहब्बत ही का एजाज़-ए-करम है दिल हो गया बेगाना-ए-अंजाम हमारा अंदाज़ तड़पने का जुदागाना है लेकिन है कोई 'फ़िगार' और भी हमनाम हमारा