कुछ मिरी सुन कुछ अपनी सुना ज़िंदगी दर्द-ए-दिल और थोड़ा बढ़ा ज़िंदगी ज़िंदगानी के फ़न से हूँ ला-इल्म मैं ज़िंदगी करना मुझ को सिखा ज़िंदगी तू ने अब तक वफ़ा की बहुत शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ज़िंदगी हर क़दम ठोकरें ज़ख़्म हर गाम हैं कब तलक दूँ बता ख़ूँ-बहा ज़िंदगी ये क्या हर गाम बस लन-तरानी वही गीत कोई नया गुनगुना ज़िंदगी ये भी बतला ज़रा तुझ को कैसा लगा मौत से जब हुआ सामना ज़िंदगी रौशनी क्यूँ स्याही में ढलने लगी तुझ से 'आरिफ़' हुई क्या ख़फ़ा ज़िंदगी