कुछ नहीं होगा अब बयाँ जानाँ ख़त्म होती है दास्ताँ जानाँ कैसे बोलूँ कि तेरे जाने से लुट गया मेरा कारवाँ जानाँ अब मिलूँगा नहीं कभी तुम को मैं चला सू-ए-आसमाँ जानाँ ये जो तुम दूर हो गए मुझ से आ गया कौन दरमियाँ जानाँ बिन तुम्हारे ये हाल है मेरा आब बिन जैसे मछलियाँ जानाँ तुम ने बोला था ये 'मुज़म्मिल' को इश्क़ होता है जावेदाँ जानाँ