मुझ पे उस का असर नहीं हुआ है हिज्र अभी मो'तबर नहीं हुआ है होने को तेरे बाद भी हुआ इश्क़ तेरे जैसा मगर नहीं हुआ है उसे भी मुझ से मिरी तरह का इश्क़ होने वाला था पर नहीं हुआ है ये मकाँ था मकान ही है दोस्त तेरे आने से घर नहीं हुआ है रख उमीद-ए-सुख़न कि कुछ भी तो वक़्त से पेशतर नहीं हुआ है दिल पे रख हाथ होंट छोड़ मियाँ दर्द इधर है उधर नहीं हुआ है वो मिरे साथ चल रहा था फ़क़त वो मिरा हम-सफ़र नहीं हुआ है जिस निगह में सुकूँ रखा गया है उस निगह में सफ़र नहीं हुआ है