कुछ शोख़ हसीनाओं सी रंगीन किताबें दिन-रात मुझे देती हैं तस्कीन किताबें इंसान ही तज़लील किया करता है इन की करती नहीं इंसान की तौहीन किताबें सीखा है फ़क़त इन से ही जीने का सलीक़ा तहज़ीब-ओ-तमद्दुन की हैं आईन किताबें जब ग़म से मैं घबरा के तड़प जाता हूँ अक्सर करती हैं मुझे सब्र की तल्क़ीन किताबें इस नूर से मामूर अज़ल से हूँ 'शरर' मैं ईमान किताबें हैं मिरा दीन किताबें