ये दर्द-ए-ला-ज़वाल तुम्हें कौन दे गया सरमाया-ए-जमाल तुम्हें कौन दे गया मौसीक़ियों की चाँदनी निखरी है लफ़्ज़ लफ़्ज़ ये इशरत-ए-ख़याल तुम्हें कौन दे गया इस वादी-ए-सुकून-ओ-मुसर्रत के बावजूद ये रंज ये मलाल तुम्हें कौन दे गया कब तक तलाश कीजिए आसूदा-हालियाँ अफ़्सुर्दा माह-ओ-साल तुम्हें कौन दे गया दिल के क़रीब हिज्र की रुत ख़ेमा-ज़न हुई तहनिय्यत-ए-विसाल तुम्हें कौन दे गया मफ़क़ूद हो गई हैं यहाँ लब-कुशाइयाँ ये ढेर भर सवाल तुम्हें कौन दे गया रानाइयों के लब पे मुकर्रर सवाल है बे-ऐब ख़द्द-ओ-ख़ाल तुम्हें कौन दे गया