कुछ तसावीर बोल पड़ती हैं By Ghazal << मिरे मज़ार पे आ कर दिए जल... कोई तोहमत हो मिरे नाम चली... >> कुछ तसावीर बोल पड़ती हैं सब की सब बे-ज़बाँ नहीं होतीं अपनी मुट्ठी न भींच कर रक्खो तितलियाँ सख़्त-जाँ नहीं होतीं लड़कियों में बस एक ख़ामी है ये दोबारा जवाँ नहीं होतीं Share on: