कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए उस की तस्वीर हटा दी जाए ढूँडने में भी मज़ा आता है कोई शय रख के भुला दी जाए नाम लिख लिख के तिरा काग़ज़ पर रौशनाई भी गिरा दी जाए नाव काग़ज़ की बना कर उस को बहते पानी में बहा दी जाए रात को चुपके से इक इक घर की क्यूँ न ज़ंजीर लगा दी जाए नींद में चौंक पड़ेगा कोई आओ उस दर पे सदा दी जाए आख़िरी साँस महक जाएगी उस के दामन की हवा दी जाए सब के सब याद चले आते हैं आज किस किस को दुआ दी जाए 'अल्वी' होटल में ठहर सकता है क्यूँ उसे घर में जगह दी जाए