कुछ तुम्हारी अंजुमन में ऐसे दीवाने भी थे जो ब-कार-ए-ख़्वेश दीवाने भी फ़रज़ाने भी थे यूँ तो हर सूरत पे था बेगानगी का शाइबा उन में कुछ ऐसे भी थे जो जाने-पहचाने भी थे सब ब-तौफ़ीक़-ए-मुरव्वत दोस्ती करते रहे लोग क्या करते कि ख़ुद उन के सनम-ख़ाने भी थे तू ने अपनी आगही के ज़र्फ़ से जाँचा मुझे आगही ना-आगही के और पैमाने भी थे दिल के जाने का ब-हर-सूरत बहुत सदमा हुआ उस से वाबस्ता कई लोगों के अफ़्साने भी थे