कुछ और तेरे मुझ से सवालात हों तो बोल ये ज़िंदगी तवील है ख़दशात हों तो बोल सिगरेट हम ने छोड़ दी और देख ख़ुश भी हैं तेरे सबब ये सारे करामात हों तो बोल जादू तो चाँद और सितारों के दम से है ऐ रात तुझ से कोई तिलिस्मात हों तो बोल देता है क्यों दिलासा यूँही बात बात पर गर तेरे इख़्तियार में हालात हों तो बोल वर्ना तो मुझ से कोई तू उम्मीद मत ही रख कुछ मुझ पे तेरी ख़ास इनायात हों तो बोल तू जिन के पीछे चल के यहाँ दर-ब-दर हुआ गर मेरे पाँव के वो निशानात हों तो बोल कुछ तो हुआ ही होगा जो हम बोलते रहे मुझ से अगर तुझे भी शिकायात हों तो बोल 'इरफ़ान' सारी दुनिया अगरचे ख़िलाफ़ है उस के मिरे ख़िलाफ़ बयानात हों तो बोल