कुछ दाग़ मोहब्बत के छुपाने के लिए हैं कुछ ज़ख़्म हैं जो सब को दिखाने के लिए हैं अंदाज़ ये सारे तो ज़माने के लिए हैं इश्वे जो हैं वो हम को दिखाने के लिए हैं दिखलाएँ भला कैसे उन्हें दिल की तड़प हम शोख़ी-ओ-सितम हम को सताने के लिए हैं क्यों हम से सदा रखते वो रस्म-ओ-रह-ए-उल्फ़त याराने बहुत उन को निभाने के लिए हैं मालूम 'असर' अब हुआ अंजाम-ए-मोहब्बत हम ख़ुद को ज़माने में मिटाने के लिए हैं