कुछ कहो किस को सदा दी जाए जाने वाले को दुआ दी जाए दिल पे फिर आज है माज़ी का हुजूम याद किस किस की भुला दी जाए है हवा तेज़ बहुत चारों तरफ़ शम्अ' किस रुख़ पे जला दी जाए आओ दीवार पे साया देखें हसरत-ए-दीद मिटा दी जाए दिल में धुँदला गए नक़्श-ए-नायाब कोई तस्वीर बना दी जाए हर तरफ़ शो'ले हैं नफ़रत के 'असर' उट्ठो ये आग बुझा दी जाए