कुछ नहीं क़ील-ओ-क़ाल में ऐ दोस्त मस्त रह अपने हाल में ऐ दोस्त ज़िंदगी उस का ज़िक्र सुनते ही आ गई इश्तिआ'ल में ऐ दोस्त साँस लेना मुहाल है यूँ भी और ऐसे वबाल में ऐ दोस्त किस क़बीले के लोग हैं हम लोग ख़ुश हैं या'नी ज़वाल में ऐ दोस्त तेरी सूरत दिखाई पड़ती है क्या ग़ज़ल क्या ग़ज़ाल में ऐ दोस्त याद-ए-माज़ी में उम्र कट जाए ख़ाक है माह-ओ-साल में ऐ दोस्त सच कहूँ तो जवाब रक्खा है आप ही के सवाल में ऐ दोस्त कोई 'महमूद' सा अगर है तो पेश कीजे मिसाल में ऐ दोस्त