कुछ तो देखें असर चराग़ चले बुझ ही जाए मगर चराग़ जले मुस्कुरा कर ये किस ने देख लिया रहगुज़र रहगुज़र चराग़ जले उतनी ही और तीरगी फैली शहर में जिस क़दर चराग़ जले कौन जाने कि किन अमीरों पर शाम से ता-सहर चराग़ जले क़ाबिल-ए-दीद है ये आलम भी इस तरफ़ दिल उधर चराग़ जले सारी बस्ती धुएँ में डूब गई शहर में इस क़दर चराग़ जले 'शौक़' आँधी है आज ज़ोरों पर आज हर गाम पर चराग़ जले