कुछ तुम्हारे तो कुछ हमारे हुए इस मोहब्बत में जो ख़सारे हुए हम ने तन्हाइयों के सारे पल अपने अश्कों से हैं सँवारे हुए अब तो शिद्दत से याद आते हैं तेरी क़ुर्बत में दिन गुज़ारे हुए ये तो हैं अश्क मेरी आँखों के तेरी पलकों पे जो सितारे हुए जब तलातुम का सामना था हमें दूर हम से बहुत किनारे हुए आज मिलना है तुम ने किस किस से तुम ने गेसू भी हैं सँवारे हुए उठ के हम आ गए थे महफ़िल से उस की जानिब से जब इशारे हुए