क्या अब मिरी कहानी में मैं हूँ गले तक पानी में जैसे मैं शामिल ही नहीं अपनी सर-ओ-सामानी में मेरी तरह ठहरेगा कौन सैल-ए-हर्फ़-ओ-मआनी में रक्खो मुझे इक तिनके पर देखो मुझे तुग़्यानी में इक आईना तोड़ो और डालो मुझे हैरानी में इक खंडर हूँ यादों का झाँको मिरी वीरानी में बे-पायाँ बे-हद्द-ओ-हिसाब मैं अपनी जौलानी में गर्द मिरी सब तीर ओ ग़ज़ाल मैं आगे हूँ रवानी में लुत्फ़ मुझे आता है 'रम्ज़' अपनी मर्सिया-ख़्वानी में