क्या अजब अपनी ज़िंदगानी है ना-मुकम्मल सी इक कहानी है फूल खिलने लगे हैं यादों के अब तबीअत में कुछ रवानी है ख़ून टपका है मेरी आँखों से इक मसीहा की मेहरबानी है ख़ुद को कलमा पढ़ा लिया हम ने फिर भी आदत वही पुरानी है वो किताबों में रह गया लेकिन उस की ज़िंदा अभी कहानी है एक तू ही न था मिरा वर्ना सारी दुनिया मिरी दीवानी है ज़िंदा-जावेद ज़ात है उस की और जो कुछ भी है वो फ़ानी है