क्या चमके अब फ़क़त मिरी नाले की शायरी इस अहद में है तेग़ की भाले की शायरी सामान सब तरह का हो लड़ने का जिन के पास है आज कल उन्हीं की मसाले की शायरी शायर रिसाला-दार न देखे न मैं सुने ईजाद है उन्हें का रिसाले की शायरी मर्द-ए-गलीम-पोश को याँ पूछता है कौन गर गर्म है तो शाल दोशाले की शायरी ये शेर गर्म गर्म पढ़े जाते यूँ नहीं मुँह बोलती है गर्म निवाले की शायरी नख़रा भी शेर में हो तो हाँ 'सोज़' का सा हो किस काम की वगर्ना छिनाले की शायरी दीवान जिन के कफ़्श से अफ़्ज़ूँ नहीं ज़रा करते हैं क्या वो लोग कसाले की शायरी चूने के काग़ज़ों पे झडें हैं जो अपने शेर यानी कि आ रही है दिवाले की शायरी कैसा ही बढ़ चले वो कलाम-ए-शरीफ़ पर सरसब्ज़ हो कभी न रिज़ाले की शायरी बाज़ों ने तब तो शेर पे 'हसरत' के यूँ कहा क्या दाल-मूठ बेचने वाले की शायरी हूँ 'मुसहफ़ी' मैं ताजिर-ए-मुल्क-ए-सुख़न कि है 'ख़ुसरो' की तरह याँ भी अटाले की शायरी