क्या ग़म है अगर शिकवा-ए-ग़म आम है प्यारे तू दिल को दुखा तेरा यही काम है प्यारे तेरे ही तबस्सुम का सहर नाम है प्यारे तू खोल दे गेसू तो अभी शाम है प्यारे इस वक़्त तिरा जान-ए-जहाँ नाम है प्यारे जो काम तू कर दे वो बड़ा काम है प्यारे जब प्यार किया चैन से क्या काम है प्यारे इस में तो तड़पने ही में आराम है प्यारे छूटी है न छूटेगी कभी प्यार की आदत मैं ख़ूब समझता हूँ जो अंजाम है प्यारे ऐ काश मिरी बात समझ में तिरी आए मेरी जो ग़ज़ल है मिरा पैग़ाम है प्यारे मैं हूँ जहाँ सौ फ़िक्र में सौ रंज में सौ दर्द तू है जहाँ आराम ही आराम है प्यारे गो मैं ने कभी अपनी ज़बाँ पर नहीं लाया सब जान रहे हैं तिरा क्या नाम है प्यारे हम दिल को लगा कर भी खटकते हैं दिलों में तू दिल को दिखा कर भी दिल-आराम है प्यारे कहता हूँ ग़ज़ल और रहा करता हूँ सरशार मेरा यही शीशा है यही जाम है प्यारे