क्या होगा अंदाज़ा थोड़ी होता है हम ने वक़्त बनाया थोड़ी होता है मेरे साथ खड़ी शहज़ादी लगती थी हर कोई शहज़ादा थोड़ी होता है हम ने माल-ए-मुफ़्त समझ बर्बाद किया जीना खेल तमाशा थोड़ी होता है वो जिस बात पे जीना मुश्किल हो जाए अब इस बात पे मरना थोड़ी होता है मालिक अपनी मर्ज़ी का भी मालिक है मालिक ने बतलाना थोड़ी होता है लोगों को बस बातें करना आती हैं लोगों को कुछ करना थोड़ी होता है हम ने भी थक हार के आख़िर मान लिया वक़्त ने हाथ में आना थोड़ी होता है दरवाज़े पर आँखें रखने वालों के दरवाज़ों पर ताला थोड़ी होता है