क्या जाने किस ख़याल में किस रास्ते में हूँ शायद मैं तेरे बा'द किसी मसअले में हूँ वो भी घिरा हुआ है ज़माने की भीड़ में मैं भी इसी जहाँ से अभी राब्ते में हूँ तू मुस्कुरा के आज मुझे कर रहा है याद या'नी मैं तेरे साथ तिरे आइने में हूँ सहरा में तेज़ धूप का एहसास ही नहीं बाक़ी है एक पेड़ अभी आसरे में हूँ कैसे किसी फ़ुरात से हो दोस्ती मिरी मैं तिश्ना-लब हुसैन तिरे क़ाफ़िले में हूँ