मैं अपनी ज़ात की तफ़्सीर करने वाला कौन मैं एक ख़्वाब हूँ ता'बीर करने वाला कौन लिखी हुई है जो दिल की ज़बाँ में धड़कन पर मैं इस किताब को तहरीर करने वाला कौन अभी तो क़ैद से निकला हूँ उन निगाहों की मैं फिर ख़याल को ज़ंजीर करने वाला कौन मैं अपने-आप को जीतूँ यही मुनासिब है मैं मुम्किनात को तस्ख़ीर करने वाला कौन मुझे अज़ीज़ है दिन की मसाफ़तों का शुऊ'र मैं एक रात की ता'मीर करने वाला कौन मिरे वजूद के सहरा का कब तक़ाज़ा है मैं अपनी प्यास को तस्वीर करने वाला कौन जहाँ लहू की समाअ'त हो संग-ए-ख़ामुशी मैं इस मक़ाम पे तक़रीर करने वाला कौन