क्या कहेगा समाज मत पूछो मिरा मुझ से मिज़ाज मत पूछो आज क्या होगा सोचना है ये कल की बातों को आज मत पूछो हादिसा दिल पे कौन सा गुज़रा क्यों हुआ इख़्तिलाज मत पूछो मेरे दुश्मन तो पूछ सकते हैं दोस्तो तुम मिज़ाज मत पूछो क्या बताना तुम्हें ज़रूरी है किस का दिल पे है राज मत पूछो हँस के कहना किसी का ऐ 'माहिर' हम से ग़म का इलाज मत पूछो