क्या कहें और दिल के बारे में हम मुलाज़िम हैं इस इदारे में इक नज़र मेरे देख लेने से क्या कमी आ गई नज़ारे में बस कि ख़ुद पर यक़ीन है अपना क्या कहें और ख़ुदा के बारे में रौशनी मुंतक़िल हुई कैसे इस सितारे से उस सितारे में क्या हक़ीक़त है कार-ए-दुनिया की क्या मुनाफ़ा है इस ख़सारे में