तिरी निगाह का अंदाज़ क्या नज़र आया दरख़्त से हमें साया जुदा नज़र आया बहुत क़रीब से आवाज़ एक आई थी मगर चले तो बड़ा फ़ासला नज़र आया ये रास्ते की लकीरें भी गुम न हो जाएँ वो झाड़ियों का नया सिलसिला नज़र आया ये रौशनी की किरन है कि आग का शो'ला हर एक घर मुझे जलता हुआ नज़र आया कली कली की सदा गूँजने लगी दिल में जहाँ भी कोई चमन-आश्ना नज़र आया सुनो तो किस लिए पत्थर उठाए फिरते हो कहो तो आईना-ख़ाने में क्या नज़र आया ये दोपहर ये पिघलती हुई सड़क 'बाक़ी' हर एक शख़्स फिसलता हुआ नज़र आया