क्या कहें तुझ से कि किस किस के करम हैं हम हैं कुछ तिरे कुछ तिरी दुनिया के सितम हैं हम हैं तू ने पूछा है तो अहवाल बता देते हैं बस तिरी याद है और आख़िरी-दम हैं हम हैं हाए क्या जान के दरवाज़ा न खोला उस ने हम पुकारा ही किए यार ये हम हैं हम हैं कैसे कैसे वो किया करता है वा'दे हम से सुब्ह से शाम तलक उस के भरम हैं हम हैं साक़िया हम से भी देरीना मरासिम हैं तिरे ये जो महरूम-ए-क़दह ग़र्क़-ए-अलम हैं हम हैं तू ही शीराज़ा-ए-जाँ है तू ही शीराज़ा-ए-दिल जब तलक हम पे तिरे जौर-ओ-सितम हैं हम हैं जिन को मजनूँ भी किया करता है झुक कर आदाब गरचे इस तरह के आशिक़ बड़े कम हैं हम हैं ये हमारा है किसी और का लाशा तो नहीं किस लिए आँख के गोशे तिरे नम हैं हम हैं साक़िया हिफ़्ज़-ए-मरातिब का ज़रा ध्यान रहे ऐसा लगता है कि मेआ'र से कम हैं हम हैं ग़ैर के दम से है रौनक़ भी चराग़ाँ भी 'वसी' तेरी महफ़िल में अगर सब्ज़-क़दम हैं हम हैं