क्या ख़बर थी यार के आते ही आफ़त आएगी क़ामत-ए-ज़ेबा में पोशीदा क़यामत आएगी पहलू-ए-वीराँ को अपने देख कर कहता हूँ मैं दिल न ढूँढूँगा यहाँ उन की नदामत आएगी ग़म नहीं मोनिस न हो कोई तिरे बीमार का वादी-ए-ग़ुर्बत में उस के साथ हिम्मत आएगी इस तसव्वुर में न देखा आईना उस यार ने बन के जान-ए-मुब्तला मिरअत में हैरत आएगी मारते हैं बे-गुनह वो रोज़ इक नाशाद को रफ़्ता रफ़्ता एक दिन अपनी भी नौबत आएगी दुश्मनों ने ये समझ कर बज़्म से रोका मुझे देख कर शायद मुझे उन को मुरव्वत आएगी मेरी बेताबी की हालत से उन्हें आगह किया हैफ़ तुझ में नामा-बर कब आदमियत आएगी गो ग़रीब-ए-बे-वतन हूँ बा'द-ए-मुर्दन देखना आह-ओ-ज़ारी को मिरी तुर्बत पे हसरत आएगी है दम-ए-मुर्दन तसव्वुर ऐ बुत-ए-ज़ेबा तिरा मौत आएगी तो बन कर तेरी सूरत आएगी ऐ 'जमीला' इस दिल-ए-वहशी की हालत देख कर क़ैस को फ़रहाद को वामिक़ को इबरत आएगी