क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में क्या जानें क्या सिखाएँगे उन को सलाह-कार हर रोज़ गुफ़्तुगू है नई मेरे बाब में पीर-ए-मुग़ाँ की दिल-शिकनी का रहा ख़याल दाख़िल हुआ हूँ तौबा से पहले सवाब में रखना क़दम तसव्वुर-ए-जानाँ संभाल कर काई है जा-ब-जा मिरी चश्म-ए-पुर-आब में ऐ शैख़ जो बताए म-ए-इश्क़ को हराम ऐसे के दो लगाए भिगो कर शराब में ऐ 'दाग़' कोई मुझ सा न होगा गुनाहगार है मासियत से मेरी जहन्नम अज़ाब में