क्या चाक किया तू ने मिरी जाँ मिरे दिल को मेरा ही बनाया है गरेबाँ मिरे दिल को तुझ को है क़सम दर्द-ए-मोहब्बत मिरे दिल की तू चैन न देना किसी उनवाँ मिरे दिल को या उस बुत-ए-गुमराह को ला राह-ए-वफ़ा पर या फेर दे ऐ गर्दिश-ए-दौराँ मिरे दिल को अच्छी कही अच्छा नहीं कुछ दिल का लगाना ये लग गई ऐ नासेह-ए-नादाँ मिरे दिल को तासीर दिखा जाए मोहब्बत तो अजब क्या सीने से लगा आज मिरी जाँ मिरे दिल को कुछ दूर नहीं बुत-कदा-ओ-का'बा समझ लें काफ़िर तिरी आँखों को मुसलमाँ मिरे दिल को है लुत्फ़ तो ये तुझ को हो महशर में भी इंकार और 'दाग़' कहे तू ने लिया हाँ मिरे दिल को