क्या निगाहों ने कोई ख़्वाब सजाया न कभी क्या किसी को भी क़रीब अपने बुलाया न कभी आते रहने के लिए शुक्रिया ऐ याद कि दोस्त मैं ही मुजरिम हूँ तिरी याद में आया न कभी उस की एल्बम में तो तस्वीर मिरी है मौजूद उस ने तस्वीर को सीने से लगाया न कभी मैं तुझे कैसे बता देता दिल-ए-नाज़ का हाल हाल-ए-दिल मैं ने तो ख़ुद को भी बताया न कभी दिल चुरा कर मिरा कहता है मुझे चोर ये अब ख़ुद ही चोरी हुआ उस ने तो चुराया न कभी क़हक़हे औरों की ख़ुशियों में रहे हैं शामिल मेरे हालात ने ख़ुद मुझ को हँसाया न कभी मैं ने औरों से सुना है कि नसीम आती है क्यूँ मुझे वक़्त-ए-सहर उस ने जगाया न कभी तेरी 'जावेद' ये आदत है ख़ुदा को भी पसंद तू ने नज़रों से किसी को भी गिराया न कभी