क्या सब उस ने सुन कर अन-सुना क्या वो ख़ुद में इस क़दर था मुब्तला क्या मैं हूँ गुज़रा हुआ सा एक लम्हा मिरे हक़ में दुआ क्या बद-दुआ क्या किरन आई कहाँ से रौशनी की अँधेरे में कोई जुगनू जला क्या मुसाफ़िर सब पलट कर आ रहे हैं वहाँ से बंद है हर रास्ता क्या मैं इक मुद्दत से ख़ुद ही गुम-शुदा हूँ बताऊँ आप को अपना पता क्या ये महफ़िल दो धड़ों में बट गई है ज़रा पूछो है किस का मुद्दआ क्या मोहब्बत रहगुज़र है कहकशाँ सी सो इस में इब्तिदा क्या इंतिहा क्या