क्यों हैं वो तेग़ ब-कफ़ और ख़फ़ा क्या जाने आज किस शख़्स की आई है क़ज़ा क्या जाने तेरा बीमार-ए-ग़म-ए-हिज्र शिफ़ा क्या जाने कैसी होती है दवा और दुआ क्या जाने हम से पूछो हमें मालूम है हम जानते हैं ग़ैर कम-बख़्त मोहब्बत का मज़ा क्या जाने दूर हो पास से कम-बख़्त तबीब-ए-नादाँ तू भला दर्द-ए-मोहब्बत की दवा क्या जाने पूछा जब मैं ने कि ऐ जान मिरा दिल है कहाँ बन के अंजान सितम-गर ने कहा क्या जाने मय-ए-अंगूर की करता है मज़म्मत वाइज़ इस की लज़्ज़त को तू ऐ मर्द-ए-ख़ुदा क्या जाने बुलबुल-ए-ज़ार है मुद्दत से असीर-ए-सय्याद आज-कल कैसी है गुलशन की हवा क्या जाने यार कम-सिन भी है नादान भी है ऐ 'साबिर' वो अभी दिल के लुभाने की अदा किया जाने