क्यों याद न आएँ मुझे उस यार की बातें हम से जो सदा करता रहा प्यार की बातें हाँ बात तो जब है कि मिलें हँस के हमेशा यूँ इश्क़ में होती नहीं तकरार की बातें आँखों से ये ज़ाहिर है मोहब्बत है तुम्हें भी इंकार में पोशीदा हैं इक़रार की बातें जो मुझ पे गुज़रती है जुदाई में तुम्हारी क्या तुम से बताऊँ मैं दिल-ए-ज़ार की बातें 'रम्मन' जो सताता है ज़माना तो सताए हम पर यही लाज़िम है करें प्यार की बातें