लग़्ज़िशें तन्हाइयों की सब बता दी जाएँगी रंगतें चेहरों की इस सूरत उड़ा दी जाएँगी ख़ुश्क पेड़ों पर नए मौसम उगाने के लिए ज़र्द पत्तों की ये तहरीरें मिटा दी जाएँगी क़हत नींदों का पड़ेगा चाहतों के खेत में ख़्वाब की फ़सलें अगर सारी जला दी जाएगी इन सराबों में मुक़य्यद मुझ से क़ैदी के लिए क्या फ़सीलें रेत की ऊँची उठा दी जाएँगी फिर समुंदर के मकानों का भी लेंगे जाएज़ा सीढ़ियाँ पानी की तह तक जब बना दी जाएँगी क्या ख़बर थी शक की ख़ातिर दोस्ती के नाम पर आज अपनी आस्तीनें भी दिखा दी जाएँगी जाएज़ा जब मेरे घर का लेने वो आए 'जमाल' टूटी फूटी हांडियाँ भी खंखना दी जाएँगी