लगी आत्मा कोसने डसने लगा ख़याल क्यों दूजे के दोष को इतना दिया उछाल दोष पराए सर मढ़े भीतर बाहर रोए हर कोई अपनी राह में आप ही काँटे बोए काँधे लादे घूमते वो अपनी ही लाश जो औरों की ख़ामियाँ करते रहे तलाश ख़ुद ही अपनी मौत का बाँधे है सामान अनजाने हैं रास्ते राही है नादान ढिग ढलान रस्ता विकट सावधान अंजान गाड़ी तेरी काँच की है लोहे का सामान आगे वो कितना चले पीछे भी हैं पाँव चार टाँग का आदमी दूर दौड़ती छाँव