लहजे को फूल लफ़्ज़ को जुगनू अगर करें वक़्त-ए-रवाँ के साथ मआ'नी सफ़र करें अंदर की बारिशों ने जो मंज़र दिखाए हैं बाहर की धूप-छाँव को इस की ख़बर करें मौसम परिंदे धूप की दीवार शब चराग़ क़िस्सा तवील होने लगा मुख़्तसर करें अब नींद सी है नींद न अब ख़्वाब सा है ख़्वाब सड़कों पे जाग जाग के उम्रें बसर करें मंज़र को दरमियान से अपने हटा के देख मुमकिन है फिर 'मतीन' की बातें असर करें