लज़्ज़त-ए-ख़्वाब दे गए हुस्न-ए-ख़याल दे गए एक झलक में इतना कुछ अहल-ए-जमाल दे गए आए तो दिल था बाग़ बाग़ और गए तो दाग़ दाग़ कितनी ख़ुशी वो लाए थे कितना मलाल दे गए दीदा-वरों की राह पर कौन हुआ है गामज़न वो मगर अपनी ज़ात से एक मिसाल दे गए इस से ज़ियादा राहज़न करते भी मुझ पे क्या सितम माल-ओ-मनाल ले गए फ़िक्र-ए-मआल दे गए अहल-ए-कमाल को 'नज़ीर' अहल-ए-जहाँ ने क्या दिया अहल-ए-जहाँ को क्या नहीं अहल-ए-कमाल दे गए