लज़्ज़त-ए-उल्फ़त से दिल मसरूर होना चाहिए जो भी है शिकवा-गिला सब दूर होना चाहिए देख कर हाल-ए-परेशाँ लोग सौ बातें करें प्यार में इतना नहीं मजबूर होना चाहिए हुस्न अब हद से ज़ियादा नाज़ दिखलाने लगा इश्क़ तुझ को भी ज़रा मग़रूर होना चाहिए लाल-ओ-गौहर के एवज़ पत्थर भी बिक जाए यहाँ बेचने वाला फ़क़त मशहूर होना चाहिए देखते ही लोग हम को बंदा-ए-मोमिन कहें इस क़दर चेहरे पे अपने नूर होना चाहिए आज भी आधे-अधूरे हम से 'तश्ना' लोग हैं आप का कुछ तो करम भरपूर होना चाहिए