लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया By Ghazal << शाम से पहले तिरी शाम न हो... रात इक शहर ने ताज़ा किए म... >> लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया जिस दिल को तुम ने देख लिया दिल बना दिया हर-चंद कर दिया मुझे बर्बाद इश्क़ ने लेकिन उन्हें तो शेफ़्ता-ए-दिल बना दिया पहले कहाँ ये नाज़ थे ये इश्वा ओ अदा दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया Share on: