शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा ज़िंदगी मैं तुझे नाकाम न होने दूँगा उड़ते उड़ते ही बिखर जाएँ पर-ओ-बाल ऐ काश ताइर-ए-जाँ को तह-ए-दाम न होने दूँगा बेवफ़ा लोगों में रहना तिरी क़िस्मत ही सही इन में शामिल मैं तिरा नाम न होने दूँगा कल भी चाहा था तुझे आज भी चाहा है कि है ये ख़याल ऐसा जिसे ख़ाम न होने दूँगा लगने दूँगा न हवा तुझ को ख़िज़ाँ की मैं 'ज़फ़र' फूल जैसा तिरा अंजाम न होने दूँगा