ले चला फिर मुझे दिल यार-ए-दिल-आज़ार के पास By Ghazal << तिरी गाली मुझ दिल को प्या... मुझ को फ़ुर्क़त की असीरी ... >> ले चला फिर मुझे दिल यार-ए-दिल-आज़ार के पास अब के छोड़ आऊँगा ज़ालिम को सितमगार के पास मैं तो हर हर ख़म-ए-गेसू की तलाशी लूँगा कि मिरा दिल है तिरे गेसू-ए-ख़मदार के पास तू तो एहसान जताती हुई आती है सबा यूँ भी आता है कोई मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास Share on: