लिक्खी है क्या हवाओं पे तहरीर देखिए क्या कह रहा है कातिब-ए-तक़दीर देखिए शहर-ए-वफ़ा में अहल-ए-हुनर अहल-ए-इल्म की कितनी बढ़ी है इज़्ज़त-ओ-तौक़ीर देखिए खंडरात ढूँडते हैं बनाते नहीं महल अहल-ए-हुनर का जज़्बा-ए-ता'मीर देखिए लाशे गली गली में हैं उजड़ा हुआ है घर अज़्मत-निशान शहर की तस्वीर देखिए ताइर लहू-लुहान है ख़्वाब-ओ-ख़याल का ये है हमारे ख़्वाब की ता'बीर देखिए घर घर में रौशनी सी रही अक़्ल-ओ-फ़हम की पहुँची कहाँ नहीं है ये तनवीर देखिए रहबर के नक़्श-ए-पा पे बढ़ाते नहीं क़दम ख़ाइफ़ हैं कितने राह से रहगीर देखिए जारी है रक़्स अब भी यहाँ ख़ाक-ओ-ख़ून का टूटा कहाँ है हल्क़ा-ए-ज़ंजीर देखिए सुलझा सकेंगे आप न 'सिद्दीक़' उम्र भर उलझी है ऐसी ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर देखिए