लोगो ये अजीब सानेहा है मुझ में कोई क़त्ल हो रहा है किस की है तलाश क्या बताएँ अपना ही वजूद खो गया है सोएँगे अज़ल में जा के हम सब दुनिया तो अज़ीम रत-जगा है सच को है दवाम इस जहाँ में मुझ से तो यही कहा गया है मरना है यहाँ बहुत ग़नीमत जीना तो मुहाल हो चुका है देगा वो ज़रूर संग मुझ को जिस ने तुझे आइना किया है आई है तवील हिज्र की शब ये दिल सर-ए-शाम जल गया है