महकते मीठे मस्ताने ज़माने कब आएँगे वो मन-माने ज़माने जो मेरे कुंज-ए-दिल में गूँजते हैं नहीं देखे वो दुनिया ने ज़माने तिरी पलकों की जुम्बिश से जो टपका उसी इक पल के अफ़्साने ज़माने तिरी साँसों की सौग़ातें बहारें तिरी नज़रों के नज़राने ज़माने कभी तो मेरी दुनिया से भी गुज़रो लिए आँखों में अनजाने ज़माने उन्ही की ज़िंदगी जो चल पड़े हैं तिरी मौजों से टकराने ज़माने मैं फ़िक्र-ए-राज़-ए-हस्ती का परस्तार मिरी तस्बीह के दाने ज़माने